Thursday, 7 July 2016

जितनी मुंह उतनी बातें

भोपाल। अगर मंत्रिमंडल विस्तार के बाद सबकुछ ठीक था तो सीएम क्यों अचानक नागपुर जाना पड़ा। संघ और सगंठन में बेहतर तालमेल मिलाकर चलने वाले मुख्यमंत्री के लिये ऐसी नौबत क्यों आई कि उन्हें अचानक संघ के दरबार में जाकर हाजिरी देनी पड़ी। मुख्यमंत्री के रूप में शिवराज का यह तीसरा कार्यकाल पूरा होने के बाद संघ के सामने किस बात को लेकर सफाई देना पड़ा।
जब ७५ के फार्मूले पर खुद प्रधानमंत्री ने नहीं माना तो शिवराज को किसके दवाब में आकर दो मंत्रियों का इस्तीफा लेना पड़ा। बीजेपी में व्यापमं घोटाले के बाद लक्ष्मीकांत शर्मा का इस्तीफा, पूर्व वित्तमंत्री राघवजी का इस्तीफा और पार्टी से बाहर किया जाना सबको समझ में आता है, लेकिन सरताज के साथ जो कुछ भी हुआ है। यह किसी के गले से नीचे नहीं उतर रहा है। गृहमंत्री बाबूलाल गौर के साथ जो कुछ हुआ वह भी एक हद तक सही है। कारण नखड़ैल मंत्री को ज्यादा दिन आप झेल नहीं सकते। लेकिन सरताज तो बिल्कुल सीधे थे और वो संघ और सगंठन के साथ मिलकर काम कर रहे थे। मध्य प्रदेश में ही नहीं उनकी पार्टी हाईकमान से सीधे तौर पर चर्चा होती रहती थी। इनको हटाने को लेकर एक आकंलन यह भी माना जा रहा है कि केंद्रीय लोक निर्माण मंत्री से बेहतर तालमेल नहीं बैठाने के कारण बाहर का रास्ता दिखाया गया है, वहीं दूसरी तरफ यह भी कहा जा रहा है कि पार्टी के अंदरूनी गतिविधियों में सरताज कमजोर साबित हो रहे थे। इस कारण से उनको हटाया गया है। इसको लेकर जितनी मुंह उतनी बातें हो रही है और होगी भी।
 वहीं सरताज ने अब अपने लिये सीधे संपर्क करना केंद्रीय मंत्रियों से शुरू कर दिया है। जो बीजेपी देशभक्ति की बात करती है वह बीजेपी बुजुर्गों को कैसे आदर नहीं दे सकती। भारत माता का आदर करना उचित है, लेकिन जो इंसान जिंदा है, उसको तो आदर दे दो। अगर भारत माता वास्तविक रूप में होती तो बीजेपी के इस छलावे से उन पर क्या बीतती।
आखिर शिवराज ने यह सब क्यों किया। आज नहीं तो कल यह भी सामने आएगा। क्योंकि मुख्यमंत्री बहुत ही सुलझे हुए वाचक है और आज नहीं तो कल सबके सामने इसका कारण बताएंगे। फिलहाल जब तक कारण नहीं मिल रहा है, तब तक जितनी मुंह उतनी बातों से ही काम चलाना होगा। 

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