सही में अगर किसी ने एमपी को गजब-अजब की परिभाषा से चरितार्थ किया है, तो ये कई मामलों में सटीक बैठता है। केंद्र में कांग्रेस की सरकार जब थी, तो हमारे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान साइकिल से अनशन तक लड़ने के मूड में थे। लेकिन समय के साथ कांग्रेस की सरकार कल की बात हो गई और बीजेपी की सरकार वो भी पूर्ण बहुमत के साथ है। फिर भी मप्र में फसल बर्बाद होने पर किसानों को उचित मुआवजा नहीं मिलने के कारण आत्महत्या कर रहे है, तो सरकार किसानों को भूत प्रेत से प्रताड़ित बता रही है। यह काम अजब गजब राज्य में ही हो सकता है।
देश में बीजेपी ऐसी पहली पार्टी थी, जिसने चुनाव में थ्री डी से लेकर सोशल साइट का उपयोग चुनाव जितने के लिये कई हथकंडों के साथ किया। मोदी जी की सत्ता केंद्र में विराजमान हुई तो डिजीटल इंडिया का नारा लगा। हाई स्पीड ट्रेन से लेकर स्मार्ट सिटी की बात हुई। जो जिले केंद्र की स्मार्ट सिटी में पिछड़ गए, वो शिवराज के सहारे स्मार्ट सिटी बनने को तैयार हुए। शिवराज का घोषणा हुआ। जीत का फतह मिला, लेकिन आम लोगों को क्या मिला। कुछ भी नहीं। फसल बीमा और मुआवजा का गणित मैं आपको यहां समझा नहीं सकता। लेकिन किसान को कुछ भी नहीं मिला।
जो बीजेपी अयोध्या का मुद्दा उठा सकती है, जो पार्टी हिंदुत्व की बात करती है। वह पार्टी रामराज्य से दूर कैसे हो सकती है। रामराज्य की परिभाषा ही थी कि राम के राजा में एक भी आदमी भूखे नहीं सोयें। लेकिन यहां शिव का राज और शिवराज की यह जिम्मेदारी है कि मध्य प्रदेश के हरेक आदमी को रोजगार, भोजन , घर मिलें। अन्यथा ऐसे मुख्यमंत्री को पद पर रहने का नैतिक अधिकार नहीं होना चाहिये। अगर रामराज्य में शिवराज का विश्वास है, तो उनको विधानसभा सदन में बताना चाहिये कि आखिर क्यों किसानों की मौत को सूदखोरों की प्रताड़ना की जगह भूत प्रेत पर बताया गया। जब मप्र की पुलिस को भूत प्रेत की प्रताड़ना के बारे में पता है,तो वह भूत किसका हैं। यह भी पुलिस बताएं और इसकी जांच किस तरीके से मप्र की सरकार करेगी। उसकी विवेचना भी रिपोर्ट में लिखें।
यह देश का अनोखा मामला होगा, जहां सीहोर जैसे जिले में 441 किसानों की मौत भूत प्रेत से प्रताड़ित होकर हो गई। आज का दिन विधानसभा के पटल पर इतिहास लिख गया और भारतीय संविधान में विश्वास रखने वालों के लिये भी आज का दिन इतिहास से कम नहीं होगा।
सवाल यह भी है किसानों की मौत को सरकार भूत प्रेत बताकर सरकार किसको बचाना चाहिये। लोकतंत्र में बहुमत प्राप्त सरकार को किससे खतरा है। विपक्ष तो मूठी भर का । मिनटों में टूटता और बंधता है तो सरकार को झूठ बोलने की क्या जरूरत थी। मप्र सरकार खुद को बचाने की जगह उन साहूकारों को बचा रही थी, जो किसानों की दो बीघा जमीन गिरवी रखकर ब्याज पर पैसा दे रही थी। अगर देश का यही हाल तो बैंक और फाइनेंस कंपनी को सरकार राहत क्यों देती है। बंद कर दें। जब अनाज उगाने वाला किसान साहूकारों के हाथों ब्याज की चक्की पीसकर मर जाए, तो ऐसी सरकारी सुविधा का क्या लाभ । फिर रामराज्य का क्या मतलब। शायद रामराज्य का आधुनिक काल में एक ही मतलब हैं सबकुछ भगवान भरोसे। फिर सरकार क्य़ों और आम आदमी टैक्स देकर ऐसी सरकार को क्य़ों पाले।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को सोचना होगा। क्या प्रदेश में सबकुछ सही है। जब महानायकों का जादू एक समय के बाद खत्म हो गया तो शिवराज का क्या चीज हैं और कब तक अपने दमखम पर पार्टी का जीताएंगे। जिस दिन मोहभंग हुआ, उस दिन पार्टी दरकिनार करने में गुरेज नहीं करेगी। इतिहास अपने आपको दोहराता है, शिवराज के साथ भी ऐसा होगा।
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