Friday, 8 July 2016

मौका परस्त हैं क्या एमजे अकबर

अगर राजनीति में सबकुछ जायज हैं, तो एमजे अकबर साहब को मौका परस्त कहना सही नहीं होगा। अकबर साहब कभी नरेंद्र मोदी को लेकर आग उगला करते थे। लेकिन भाईसाहब अब बीजेपी से सासंद और फिर मोदी कैबिनेट विस्तार के दौरान मंत्री बन गए है। मप्र से राज्यसभा सासंद होने के कारण आज उनकी स्वागत समारोह देखने का मौका मिला। बीजेपी सगंठन ने दो केंद्रीय मंत्रियों का स्वागत किया। आज एमजे अकबर साहब की चर्चा इसलिये कर रहा हूं कि रविश कुमार अपनी पीड़ा उनसे शब्दों के माध्यम से व्यक्त की है। रविश कुमार को तो आप जानते ही होंगे, वहीं एनडीटीवी के प्राइम टाइम वाले। अच्छा बोलते है और अच्छी वाइस ओवर होने के कारण इस मुकाम तक पहुंचे है। उनका पत्र हमलोगों को भी पढ़ने को मिला। शायद वह लिखते ही है, सबको पढ़ने के लिये। इस पर एमजे अकबर साहब का क्या रिएक्शन है, ये वहीं जाने। लेकिन मप्र की राजनीति में अकबर साहब को सभी मौका परस्त कह रहे हैं, पता नहीं क्यों। क्या सफलता आपके घर तक चल कर आए और आपको इसको अपना लो..तो यह मौका परस्त है...तो मैं इसको मौका परस्त नहीं मानता।
  लोकतंत्र में सबको अपना अधिकार है। कभी विपक्ष पर तीखी प्रहार करने वाला सत्ता पक्ष से भी हाथ मिला सकता है। यह निर्भर उनकी स्थिति और परिस्थिति पर करता है। अकबर साहब ने भी एक समय मोदी को भरा बुरा कहने में कोई कसर नहीं छोड़ी। लेकिन इसका ये मतलब कतई नहीं है कि मोदी इसको लेकर बुरा मान जाते। उस समय अकबर साहब की भूमिका कैसी थी। यह भी सोचना जरूरी है। इसके बिना आप किसी को मौका परस्त नहीं कह सकते।
    समय के साथ इंसान का भाग्य भी बदलता रहता है। यहीं समय की धुरी है, जब मोदी के साथ अकबर साहब भी बैठेंगे। हो सकता है कि अगर विपरित दिशा में समय होगा, तो इतिहास फिर बदलेगा। ऐसे में किसी को मौका परस्त कहां जाना कितना उचित है। यह मैं आप पर छोड़ता हूं कि इसका आकंलन आप ही कर लीजिए। राज्यसभा के चुनाव के दौरान अकबर साहब से बीजेपी प्रत्याशी के रूप में मुलाकात हुई। सभी पत्रकारों से चर्चा चल रही थी। मुझे तो काफी सुलझे हुए इंसान और राजनीतिज्ञ लगे। बिना काम के भी लोगों से हाल समाचार अकबर साहब लेते रहते हैं। कभी नहीं देखा और न अब तक कभी सुना कि अकबर साहब मौका परस्त है, लेकिन मंत्री बनने के बाद से ही यह चर्चा सुनने को मिल रहा है कि यह मौका परस्त हैं।

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