आजकल शहर में स्पा का प्रचलन तेजी से बढ़ा है या इसको कहें बैकांक जाने के लिये घंटों की दूरी का लोग अब इंतजार भी नहीं करना चाहते। डिजीटल औऱ न्यू इंडिया में सबकुछ तेजी से बदल रहा है। ऐसा दावा में नहीं सत्ताधारी सरकार कर रही है..इसलिये बैकांक की थाई मसाज आपके शहर में है। इसको आप विकास से जोड़ लीजिए या बेरोजगारी दूर करने के नयाब तरीके से। इसके विकास कुछ इस तरीके से हुआ सैलून... पार्लर ...मैंस पार्लर या पुरूष पार्लर कहिये..और अंत में यूनिसेक्स पार्लर....के बाद स्पा।
मध्य प्रदेश में निर्धारित आंकड़ा के अनुसार 1233 स्पा सेंटर हैं। भोपाल में इसका आंकड़ा कम है, लेकिन इंदौर में 220 स्पा सेंटर हैं। इन स्पाओं के प्रचार पर नजर डालेंगे तो मुझे एक पंच लाइन बेहद अच्छा लगा।"आओं मैं तुम्हें खूबसूरत बना दूं" यूनिसेक्स पार्लर में खूबसूरत शब्द का उपयोग मेल और फीमेल दोनो के लिये है। इसलिये भाषा पर मत जाए। इन दिनों चर्चा में स्पा सेंटर है। वो सुकून और शांति की तलाश में स्पा पहुंच रहे है या स्पा की आड़ में जिस्मफरोशी चल रही है। विकास जिस्मफरोशी का भी हुआ। तवायफ से स्पा सेंटर तक का सफर मजबूरी से धंधा बना दिया या कब बन गया किसी को पता ही नहीं चला।
हाल ही में शहर के स्पा सेंटर पर पुलिस की कार्रवाई हुई है। शरीर को खूबसूरत बना देने वाली बालाएं जेल पहुंच गई। एक पत्रकार होने के नाते इच्छा हुई एक इंटरव्यू इन बालाओं का भी किया जाए लेकिन गिरफ्तारी के बाद कौन इंटरव्यू देता है। लेकिन पुलिस के सहयोग से कुछ घर का पता मिल गया। फिर क्या था। मैं उनके घर पर चला गया। मुझे नहीं पता था कि घरवालों को ज्यादा कुछ नहीं पता है।
पुराने भोपाल की तंग गलियों के एक तंग घर में पहुंचा, जिसकी एक दीवार अभी ही बनी थी। घर बहुत छोटा था , लेकिन घर देखकर उस घर की जीडीपी क्या होगी। इसका अंदाजा लगाया जा सकता। दरवाजे पर दस्तक हुई दरवाजा खुला तो एक महिला निकली। जिसकी उम्र 40 के आस पास होगी। मैंने परिचय दिया तो घर के अंदर बुला लिया। कमरा चार बाई चार का होगा उसमें परिवार के सदस्य पांच।जिसमें एक जेल में हैं। बातों की सिलसिला शुरू हुआ तो उसकी मां रोने लगी। उसकी मां को तो यह पता ही नहीं था कि उसकी बेटी स्पा में काम करती है। वह तो खबर नहीं छपने तक यह जानती थी कि उसकी बेटी प्रापर्टी डीलर का काम करती है। कुछ दिनों से न फोन आया और न वो। तो मां ने पता किया तो पूरी घटना सामने आई। मां की हिम्मत नहीं हुई कि जमानत के लिये किसी को कहा जाए। उस महिला ने बताया कि पति शराबी है और घर का खर्चा तक नहीं चलता। दिन रात शराब पीता है। पति दिन के समय भी शराब के नशे में था। बीच बीच में उसकी आवाज यह बता रही थी। बेटी ज्यादा पढ़ी लिखी नहीं है, लेकिन खूबसूरत है और दूसरों को भी खूबसूरत बनाने की तमन्ना रखती है।इसलिये प्रापर्टी डीलर के यहां नौकरी कर ली और सैलेरी के अलावा प्रतिदिन कमिशन मिलता था। मां की बात सुनकर, मैं समझ गया कि कमिशन कहां से मिल रहा है। नोटबंदी के बाद किसने घर खरीदा है यहां तो नौकरी खतरे में है। उसकी मां ने दीवार की ओर ईशारा करते हुए कहा कि यह दीवार उसी के पैसे से बना है। परिवार में यहीं एक लड़की है जो कमा कर मां और दोनों भाई को पेट पालती ही नहीं बेहतर तरीके से रख रही थी। हमें सच्चाई पता नहीं थी वह बाद में चली। पिता को कोई मतलब नहीं है। हम क्या करें। मुझे कुछ पता नहीं है और ईश्वर ही कुछ रहम करें।उसके मां की बात सुनकर मुझे लगा कि दर्द को ज्यादा खरोदने से कोई मतलब नहीं है।
मैं वहां से आगे निकला। यह भी पुराने भोपाल का एक हिस्सा था। पिता ऑटो चालक है लेकिन खांसी और बीमारी ने उनको बेरोजगार कर दिया है। परिवार मुस्लिम है। जहां सबकुछ कुरान के हिसाब से अवैध है। बड़ी बहन जिसकी शादी हो चुकी है। एक भाई, एक बहन और मां -पिता इसके पालन पोषण की जिम्मेदारी उस लड़की के कंधे पर है, जिसने दसवीं पास किया है। अंग्रेजी बोल लेती है। बड़ी को बहन को सबकुछ पता है। उसने बताया कि स्पा का उसने ट्रेनिंग लिया था। उसके बाद शहर के हर छोटे बड़े स्पा में काम किया। शुरूआती दौर में उसे वेतन के रूप में आठ हजार रूपए मिलता था लेकिन आमदनी या टिप्स अच्छी होती थी। अनुभव बढ़ने के बाद वेतन 13 हजार तक पहुंच गया। शारीरिक दृष्टिकोण से बेहतर थी औऱ उसका चेहरा फिल्म अदाकरा आलिया भट्ट से कुछ हदतक मिलता था। इसलिये डिमांड ज्यादा था। लेकिन हमें यह नहीं पता था कि वह जिस्मफरोशी के धंधे में हैं। इसका पता अभी चला है। हमारा धर्म इसकी इजाजत नहीं देता। परिवारिक हालात से ऐसा लगा कि परिवार बेहद गरीब है।
तीसरा पता था आशिमा मॉल से पीछे बसे एक फ्लैट का । फ्लैट बेहद ही खूबसूरत था। पांच लड़कियां साथ में रहती थी, उन्होंने ने ही लिया था। उसके दोस्तों ने बात करने से मना कर दिया। बस इतना बोली कि हमें नहीं पता था। स्वभाविक है जब इंसान मुसीबत में फंसता है तो अधिकांश लोगों को पता नहीं होता है कि वह क्या करती या करता थी। इसी दौरान दो ऐसी लड़कियों से मुलाकात हुई जो जेल से कुछेक साल पहले रिहा हुई है, वह भी एक महिला के सहयोग से। बाद में पता चला कि गोवा की रहने वाली वह लड़की भोपाल में उस महिला के स्पा में काम करने के लिये आ गई और उस अब उस महिला की हमराज है। इसके बाद मुलाकात एक किन्नर से हुई जो मजा लेती थी...या देती थी..इसका पता नहीं। लेकिन समाज में किन्नर को स्पा में नौकरी देने का प्रचलन कब से शुरू हुआ इसका पता नहीं लेकिन पब्लिक डिमांड पर ही नौकरी मिली होगी, उसकी गारंटी ले सकता हूं। वह सबकुछ जानती थी औऱ खुशी से पेशे में हैं।
एक दिन पूरा लग गया इनसे मिलने और बात करने में। आखिर जिस्मफरोशी कहां नहीं है। निजी कंपनियों में जाकर देखियें जहां अधेड़ उम्र का बॉस अपने स्टाफ लड़कियों को ताड़ता है और बंद केबिन में सबकुछ की अभिलाषा रखता है और उसकी इच्छा पूरी भी होती है। नौकरी बचाने या अच्छे वेतन की लालच या मौज मस्ती के चक्कर में वो सबकुछ दे देती है जिसका धर्म औऱ समाज में इजाजत नहीं देता। ऐसी घटना आपके आस पास होती होगी। हालांकि इस पर कुछ लिखूंगा अगली बार।
अब भी मैं यहीं सोच रहा है कि जिस्मफरोशी को धंधा कहूं या मजबूरी। क्योंकि मैं न्याय कैसे करूं। लेकिन समझ मैं आ गया कि इंसान के हिसाब से शब्दों की परिभाषा और शब्द भी बदल जाते है।
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