नमस्कार मैं कुमार सौरभ कृष्ण की जन्मस्थली से लौटने के बाद एक बार फिर आपके लिये हाजिर हूं। मध्य प्रदेश में चुनावी माह चल रहा है। 28 नवंबर को मतदान करके आप सभी को अपने भाग्य का विधाता चुनना है। आपका सही निर्णय आने वाली पीढ़ी को एक नया युग देगा। अन्यथा जो अंधकार से आप गुजर रहे हो... वहीं आनेवाली पीढ़ी को मिलेगा।
मध्य प्रदेश में रेडियों हो या टीवी या फिर सोशल मीडिया सभी जगह कांग्रेस , भाजपा से लेकर आप पार्टी तक आपको प्रचार प्रसार में जुटे हुए है। कांग्रेस को गुस्सा आता है... बीजेपी पर या जनता पर पता नहीं। बीजेपी अपने चिरपरिचित अंदाज में कांग्रेस को उपहास की नजर से देख रही है। वहीं अंदाज है जमुरा नाच कर दिखाएगा..मजा आएगा...बस मजा ही लेना। वोट तो बीजेपी को ही देना। इस दोनों पार्टियों के प्रचार को सुनते सुनते आप थक जाए तो आप पार्टी के प्रचार को भी जरा सुन लीजिएगा। वो मध्य प्रदेश को दिल्ली बनाने का दावा कर रही है।
इन सभी पार्टियों के स्लोगन, पंच लाइन सुनने के बाद जरा सोचिये। क्या बनी बनाई व्यवस्था को बदलना इतना आसान है। अगर आप को लगता है कि हां। बदलाव जरूरी है। तो मैं कहता हूं नहीं। क्योंकि कोई भी राजनीतिक पार्टी व्यवस्था बदलने नहीं आ रही है। सदियों से चली आ रही व्यवस्था में अपने आपको फिट करने आ रही है। यह व्यवस्था किसने बनाई। आप सोचेंगे नेताओं ने । नहीं ऐसा बिल्कुल नहीं है। लोकतंत्र में राजनीतिक पार्टी के अलावा एक प्रशासनिक अमला ऐसा है, जो परदे के पीछे है, लेकिन निर्देशन से लेकर स्किफ्ट तक उसकी लिखी हुई है। वह है एक प्रशासनिक अमला चाहे वो आईएएस हो या आईपीएस हो या आईएफएस हो। लोकतंत्र का यह सिस्टम अगर सही है तो सरकार की सभी योजनाओं का लाभ जमीनी स्तर पर सबको मिलेगा। अन्यथा सभी के जीवन में संघर्ष रहेगा।
अब बात रही वोट की तो वोट आप जरूर करें और ऐसे पार्टी का बहुमत से जीताए तो लोकतंत्र में प्रशासनिक अमले को सीधा रख सके।ऐसा न हो कि पार्टी बहुमत से जीतने के बाद प्रशासनिक अमले के सामने घुटने टेक दें।
धन्यवाद
मध्य प्रदेश में रेडियों हो या टीवी या फिर सोशल मीडिया सभी जगह कांग्रेस , भाजपा से लेकर आप पार्टी तक आपको प्रचार प्रसार में जुटे हुए है। कांग्रेस को गुस्सा आता है... बीजेपी पर या जनता पर पता नहीं। बीजेपी अपने चिरपरिचित अंदाज में कांग्रेस को उपहास की नजर से देख रही है। वहीं अंदाज है जमुरा नाच कर दिखाएगा..मजा आएगा...बस मजा ही लेना। वोट तो बीजेपी को ही देना। इस दोनों पार्टियों के प्रचार को सुनते सुनते आप थक जाए तो आप पार्टी के प्रचार को भी जरा सुन लीजिएगा। वो मध्य प्रदेश को दिल्ली बनाने का दावा कर रही है।
इन सभी पार्टियों के स्लोगन, पंच लाइन सुनने के बाद जरा सोचिये। क्या बनी बनाई व्यवस्था को बदलना इतना आसान है। अगर आप को लगता है कि हां। बदलाव जरूरी है। तो मैं कहता हूं नहीं। क्योंकि कोई भी राजनीतिक पार्टी व्यवस्था बदलने नहीं आ रही है। सदियों से चली आ रही व्यवस्था में अपने आपको फिट करने आ रही है। यह व्यवस्था किसने बनाई। आप सोचेंगे नेताओं ने । नहीं ऐसा बिल्कुल नहीं है। लोकतंत्र में राजनीतिक पार्टी के अलावा एक प्रशासनिक अमला ऐसा है, जो परदे के पीछे है, लेकिन निर्देशन से लेकर स्किफ्ट तक उसकी लिखी हुई है। वह है एक प्रशासनिक अमला चाहे वो आईएएस हो या आईपीएस हो या आईएफएस हो। लोकतंत्र का यह सिस्टम अगर सही है तो सरकार की सभी योजनाओं का लाभ जमीनी स्तर पर सबको मिलेगा। अन्यथा सभी के जीवन में संघर्ष रहेगा।
अब बात रही वोट की तो वोट आप जरूर करें और ऐसे पार्टी का बहुमत से जीताए तो लोकतंत्र में प्रशासनिक अमले को सीधा रख सके।ऐसा न हो कि पार्टी बहुमत से जीतने के बाद प्रशासनिक अमले के सामने घुटने टेक दें।
धन्यवाद