Monday, 26 November 2018

मुझे गुस्सा आता है... वोट नहीं करने वालों पर ।

नमस्कार मैं कुमार सौरभ कृष्ण की जन्मस्थली से लौटने के बाद एक बार फिर आपके लिये हाजिर हूं। मध्य प्रदेश में चुनावी माह चल रहा है। 28 नवंबर को मतदान करके आप सभी को अपने भाग्य का विधाता चुनना है। आपका सही निर्णय आने वाली पीढ़ी को एक नया युग देगा। अन्यथा जो अंधकार से आप गुजर रहे हो... वहीं आनेवाली पीढ़ी को मिलेगा।
      मध्य प्रदेश में रेडियों हो या टीवी या फिर सोशल मीडिया सभी जगह कांग्रेस , भाजपा से लेकर आप पार्टी तक आपको प्रचार प्रसार में जुटे हुए है। कांग्रेस को गुस्सा आता है... बीजेपी पर या जनता पर पता नहीं। बीजेपी अपने चिरपरिचित अंदाज में कांग्रेस को उपहास की नजर से देख रही है। वहीं अंदाज है जमुरा नाच कर  दिखाएगा..मजा आएगा...बस मजा ही लेना। वोट तो बीजेपी को ही देना। इस दोनों पार्टियों के प्रचार को सुनते सुनते आप थक जाए तो आप पार्टी के प्रचार को भी जरा सुन लीजिएगा। वो मध्य प्रदेश को दिल्ली बनाने का दावा कर रही है।
   इन सभी पार्टियों के स्लोगन, पंच लाइन सुनने के बाद जरा सोचिये। क्या बनी बनाई व्यवस्था को बदलना इतना आसान है। अगर आप को लगता है कि हां। बदलाव जरूरी है। तो मैं कहता हूं नहीं। क्योंकि कोई भी राजनीतिक पार्टी व्यवस्था बदलने नहीं आ रही है। सदियों से चली आ रही व्यवस्था में अपने आपको फिट करने आ रही है। यह व्यवस्था किसने बनाई। आप सोचेंगे नेताओं ने । नहीं ऐसा बिल्कुल नहीं है। लोकतंत्र में राजनीतिक पार्टी के अलावा एक प्रशासनिक अमला ऐसा है, जो परदे के पीछे है, लेकिन निर्देशन से लेकर स्किफ्ट तक उसकी लिखी हुई है। वह है एक प्रशासनिक अमला चाहे वो आईएएस हो या आईपीएस हो या आईएफएस हो। लोकतंत्र का यह सिस्टम अगर सही है तो सरकार की सभी योजनाओं का लाभ जमीनी स्तर पर सबको मिलेगा। अन्यथा सभी के जीवन में संघर्ष रहेगा।
 अब बात रही वोट की तो वोट आप जरूर करें और ऐसे पार्टी का बहुमत से जीताए तो लोकतंत्र में प्रशासनिक अमले को सीधा रख सके।ऐसा न हो कि पार्टी बहुमत से जीतने के बाद प्रशासनिक अमले के सामने घुटने टेक दें।
धन्यवाद 

Sunday, 6 May 2018

लोकतंत्र में कितना जरूरी है सोशल मीडिया वॉर....

नमस्कार मैं कुमार सौरभ...देश में बहुत कुछ बदल रहा है...समस्याओं का निदान, लोन सहित हरेक चीजें ऑनलाइन हो रही है। इसका असर अब चुनाव पर भी पड़ रहा है। कर्नाटक में विधानसभा चुनाव है। फील्ड में नेता मेहनत कर रहे है, उससे कहीं ज्यादा सोशल मीडिया भी सक्रिय है। देश की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा और कांग्रेस दोनों ने ही सोशल मीडिया वॉर रूम तैयार कर लिया है। सोशल मीडिया पर मैसेज ध्वनि से भी तेज गति से चल रहे है।व़ॉर रूम में एक से एक आइडिया पर काम चल रहा है। भारतीय इतिहास में पहली बार ऐसा हो रहा है, दो दिल भले ही न मिले लेकिन सोशल मीडिया पर एक दूसरे पर वॉर जरूर कर रहे है। जनता की समस्या अब सार्वजनिक हो गई है। जनता भी लाइन लगाकर दोनों ही पार्टी को कोस रही है। सोशल मीडिया पर चुनावी माहौल की शुरूआत भाजपा ने की। भाजपा इसकी जननी रही है और इसको सफलता भी खूब मिली। देश की सबसे पुरानी पार्टी इस विधा को सीखने में पिछड़ गई। या इसको इन्होंने हलके में ले लिया..लेकिन कर्नाटक में दोनों एक दूसरे को टक्कर देने में लगी है। कांग्रेस नेताओं के पास सोशल मीडिया के एक से एक उपकरण है, इस मामले में भाजपा पिछड़ती नजर आ रही है। कांग्रेस ने इसके लिये देश की सबसे बड़ी कंपनी के साथ अनुबंध किया है। अगर सोशल मीडिया की बात करे तो बीबीसी एक ऐसी संस्थान है, जो सोशल मीडिया का उपयोग खबरें के लिये शुरू से करती आ रही है। इस पर बीबीसी की टीम ने खूब काम भी किया है। लेकिन अब इसको चुनावी हथियार बना लिया गया है। बहरहाल कर्नाटक चुनाव में कटप्पा औऱ बाहुबलि के बीच जंग है और यह बेहद दिलचस्प है कि कौन किसको  मारता या हराता है। इसके बाद भी छल प्रपंच में पुरानी पार्टी कई पिछड़ तो नहीं जाएगी...

Saturday, 31 March 2018

अप्रैल का महीना है...बागों में बहार है...चुनावी साल है...


नमस्कार मैं कुमार सौरभ। बहुत दिनों के बाद एक बार फिर से ब्लॉग लिख रहा हूं...क्योंकि आस पास ऐसा घटित हो रहा है...जो लिखने की कीड़ा को जिंदा कर दिया है। शरद ऋुतु जा चुकी है...ग्रीष्म ऋुतु का आगमन हो चुका है। वातावरण में ठंडक ने गर्मी को भार सौंप दिया है और अपना तबादला आदेश लेकर जम्मू जा चुकी है। अप्रैल की गर्मी चारों ओर फैल चुकी है। आपके शरीर से लेकर बाजार औऱ आपके पॉकेट पर इसका असर है। एक वित्तीय वर्ष खत्म होने से पहले ऑफर का आनंद था। जिस बैंक ने आपके सिविल स्कोर कम होने पर लोन नहीं दिये, उसी बैंक ने लोन के लक्ष्य को पूरा करने के लिये मोबाइल पर ऑफर भेजा  और आपने बिना समय गंवाए लोन ले लिया। क्योंकि मार्च का महीना सरकार के लिये वित्तीय वर्ष और आम जनता के लिये लोन का होता है। वैसे भी आप कोई नीरव मोदी तो है  नहीं कि रातों रात बैंक का पैसा लेकर भाग जाएंगे। आप मीडिल क्लास वाले है लोन नहीं चुकाएंगे तो बैंक आपको जीलत की जिदंगी देगी इसलिये सावधान रहिये और किस्त भरते रहिएगा...
 मध्य प्रदेश में चुनावी साल है...इसलिये इस राज्य में भी ऑफर है...सभी वर्ग के लिये। जो लोग इस राज्य के निवासी नहीं है...वो अब बन लीजिये...क्योंकि पलायन करने की आदत डाल लीजिये...जहां चुनाव हो उस राज्य में जाकर बस जाए....पानी बिजली और भोजन के अलावा रोजगार भी मुफ्त मिलेगा और राजनीतिक पार्टी आपका वोट अधिकार का प्रबंध भी कर देगी...क्योंकि हाईटेक की गोद में राजनीति पार्टी खेल रही है। आपका मोबाइल नंबर से लेकर क्षेत्र तक का पता पार्टी  ने कर रखा है। भारत में आपने जन्म लिया है तो इन सब चीजों की आदत डाल लीजियें। भाषण से ज्यादा राशन पर फोकस रखियें। क्योंकि जो यहां घोषणा होती है...वह कभी पूरी नहीं होती। क्योंकि इसका कोई माई बाप नहीं है...जो पूछ लें कि घोषणा पूरा क्यों नहीं हुआ। मध्य प्रदेश से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से आप भी कुछ मांग लीजिए...सब मिल जाएगा...। यहां मना नहीं होगा क्योंकि चुनावी साल में राज्य सरकार और पार्टी ने पिटारा खोल दिया है....जितना आप बजा सकते है...बजाएि....फिर दूसरे को भी मौका दीजिए..ध्यान रखिए चुनाव शुरू होने से पहले घोषणा पर अमल जरूर करा लीजिएगा...अन्यथा बड़ा भाई की तरह छोटा भाई भी जुमला बोलकर निकल लेगा।
    आपके आस पास  बहुत कुछ बदल रहा है....मोबाइल और आधार ने आपकी निजता दूसरे के हाथ में सौंपने के लिये तैयार बैठी। सरकार को अपना अच्छा काम बताना पड़ रहा है....सोशल मीडियों पर ढेरों विज्ञापन सरकारी तंत्र के है...आप भी तरह -तरह के वीडियों का आनंद लीजिए। चुनावी साल है...अब गांव घर में नचनिया नहीं आएगी....उसके ठुमके पर सोशल मीडिया आपको नचाएगा...नाच लीजिए..सेहत के लिये बेहतर है..बस होशोहवास का ध्यान रखिएगा...नहीं तो लंगोट तक आपके सोशल मीडिया में आ जाएंगे...मध्य प्रदेश में सरकार ने हरेक वर्ग के लिये कुछ खास घोषणा कर दी है...अमल में लाया जा चुका है...लेकिन इसका पैमाना कितना है...ये मत पूछिए...बैगा जाति , किसान ,श्रमिक और सरकारी नौकरी वाले. सबके लिये तोहफा है....यू मान लीजिए संता का गिफ्ट है...कुछ न कुछ मिलेगा जरूर। बेरोजगारों पर से सरकार फोकस हट गया है...बेरोजगारी कैसे दूर हो इसके लिये सीएम को चिंता है। बस अपने दो बेटे के लिये। बाकी के लिये तो उनका बोल वचन है..सुनिए औऱ आनंद लीजिए। 
मप्र के ब्यूरोक्रेटेस के भी क्या कहने। राजनीति पार्टी से एक कदम आगे है...उनको भी अपना परिवार चलाना है...उन्हें भी तो सीएस पद के लिये कुर्सी दौड़ में आना है...हरेक ब्यूरोक्रेट का अपना तरीका है..कैसे नंबर बढ़वाया जाए....हमारे तरफ भी सरकार देखें...देखिए तमाशा इनका भी। काम करने के लिये आए है लेकिन काम के नाम पर राजनीति भी कर रहे है। जनता मूकदर्शक है...दोनों तरह के तमाशा को देख रही है...समझ में नहीं आ रहा है, जिनके पास सबकुछ है वह भी नैतिकता को भूल चुके है। इंसान के चहेरे पर मत जाए नहीं तो छल लिये जाएंगे... जाते जाते याद दिला रहा हूं अपने मीडिया के साथी से वह भी सीएम की पूर्व में की घोषणाओं को याद दिलाकर पूरा करवा लें... अप्रैल का महीना है चुनावी साल है और बागों में बहार। जब आचार संहिता का डंडा चलेगा तो कुछ नहीं मिलेगा...इसलिये पहले आइए और फायदा उठाएये...