भोपाल। फिल्म कबाली का गाना ' सारा जमाना हसीनों का दीवाना...' इसी गाने की एक लाइन है जवानी कहते हैं इसको....मेरे आशिक है हरेक जगह। क्या सही में जवानी इसी को कहते हैं. राजधानी में विगत दो सालों में दो ऐसी बड़ी घटना हुई , जिसकी चर्चा राष्ट्रीय स्तर पर हुई और इन दोनों घटनाओं का मुख्य कारण 'जवानी ही' हैं।
शेहला मसूद हत्याकांड की केस स्टडी करें तो इस जवानी के पीछे हसरत थी पैसा कमाने की। दो युवतियों के बीच ऐसी प्रतिस्पध्दा हुई कि एक को जान गंवानी पड़ी। वहीं दूसरी अब जेल में सलाखों के पीछे अपनी जवान दिनों को याद कर रही है। वहीं दूसरी घटना उदयन दास की...जो इतने जवान हो गए कि उस जवानी की आग में मां-बाप और फिर गर्लफ्रेंड की भी बलि चढ़ गई। उदयन के जवानी की कहानी की राजदार आकांक्षा थी और आकांक्षा अब नहीं रही।
उदयन और आकांक्षा मैं कुछ तो समानता थी, जो एक दूसरे प्रति आकर्षित हुए या फिर ये जवानी का दस्तूर था। जब दो दिल मिलने की जगह जिस्म की जरूरतें पहले मिलने लगी। यह राज भी आकांक्षा के साथ ही खत्म हो गया, क्योंकि उसका प्रेमी साइको किलिर बन गया। समय के साथ उदयन के राज भी किसी भूकंप से कम नहीं है। न जाने उदयन ने अपनी जवानी की कितनी राज छुपा रखी हो। हालांकि जवानी का राज भी कुछ अजीब है....जो सभी का पर्दा में ही रहता है। पर्दानशी जवानी की अपनी कहानी होती है, जो इंसान के साथ दम तोड़ती है। लेकिन कुछेक ऐसे भी लोग है, जिनकी जवानी समय के साथ बाहर आती है तो समाज में उसका चेहरा सामने आता है।
उदयन का भी आया, जिसने जवानी की तृप्ति के लिये अपने मां-बाप को भी बलि चढ़ाने से गुरेज नहीं किया। जवानी की अपनी कहानी है। उम्र का ऐसा पड़ाव है, जिसकी चाहत बूढ़े से लेकर बच्चे तक को है। बच्चों को जवान होना और बूढ़ा इंसान हमेश जवान रहने का प्रयास करता है। यहीं सच्चाई है कई उत्पाद भी जवान होने के नाम पर ही बेचे जा रहे है। संस्कृति और संस्कार देखिये और सोचिये तो। आपको समझ में नहीं आएगा कि एक ही समाज में लोग इस तरह के भी रहते हैं.चलिये जवानी को अलविदा कहते है....और बात को यहीं देते है विराम
शेहला मसूद हत्याकांड की केस स्टडी करें तो इस जवानी के पीछे हसरत थी पैसा कमाने की। दो युवतियों के बीच ऐसी प्रतिस्पध्दा हुई कि एक को जान गंवानी पड़ी। वहीं दूसरी अब जेल में सलाखों के पीछे अपनी जवान दिनों को याद कर रही है। वहीं दूसरी घटना उदयन दास की...जो इतने जवान हो गए कि उस जवानी की आग में मां-बाप और फिर गर्लफ्रेंड की भी बलि चढ़ गई। उदयन के जवानी की कहानी की राजदार आकांक्षा थी और आकांक्षा अब नहीं रही।
उदयन और आकांक्षा मैं कुछ तो समानता थी, जो एक दूसरे प्रति आकर्षित हुए या फिर ये जवानी का दस्तूर था। जब दो दिल मिलने की जगह जिस्म की जरूरतें पहले मिलने लगी। यह राज भी आकांक्षा के साथ ही खत्म हो गया, क्योंकि उसका प्रेमी साइको किलिर बन गया। समय के साथ उदयन के राज भी किसी भूकंप से कम नहीं है। न जाने उदयन ने अपनी जवानी की कितनी राज छुपा रखी हो। हालांकि जवानी का राज भी कुछ अजीब है....जो सभी का पर्दा में ही रहता है। पर्दानशी जवानी की अपनी कहानी होती है, जो इंसान के साथ दम तोड़ती है। लेकिन कुछेक ऐसे भी लोग है, जिनकी जवानी समय के साथ बाहर आती है तो समाज में उसका चेहरा सामने आता है।
उदयन का भी आया, जिसने जवानी की तृप्ति के लिये अपने मां-बाप को भी बलि चढ़ाने से गुरेज नहीं किया। जवानी की अपनी कहानी है। उम्र का ऐसा पड़ाव है, जिसकी चाहत बूढ़े से लेकर बच्चे तक को है। बच्चों को जवान होना और बूढ़ा इंसान हमेश जवान रहने का प्रयास करता है। यहीं सच्चाई है कई उत्पाद भी जवान होने के नाम पर ही बेचे जा रहे है। संस्कृति और संस्कार देखिये और सोचिये तो। आपको समझ में नहीं आएगा कि एक ही समाज में लोग इस तरह के भी रहते हैं.चलिये जवानी को अलविदा कहते है....और बात को यहीं देते है विराम